हम शराब पीने का समर्थन नहीं करते पर एक योग व ज्ञान साधक के रूप में हमारा मानना है कि अपनी पंसद दूसरों पर थोपना अहंकार है। शराब न पीने के लिये प्रेरणा उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिये पर इसका आशय यह कतई नहीं है कि स्वयं पीने की नियमित आदत से मुक्त होने पर इतराना चाहिये।
इधर कुछ दिन से अंतर्जाल पर कुछ लोग शराब पर प्रतिबंध लगाने को एक आदर्श कदम मानने लगे हैं। दरअसल शराब पर प्रतिबंध लगाना एक सहज कदम है पर उससे मुश्किल उसके अवैध उत्पादन तथा वितरण रोकना है-इससे जहरीली शराब बनने तथा राजस्व हानि दोनो की आशंका रहती है। गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है पर वहां के अनुभवी बताते हैं कि वहां चाहे जहां शराब मिल सकती है-बस महंगे दाम चुकाने होते हैं। अभी बिहार की चर्चा भी खूब हो रही है पर वहां अवैध शराब बनने और बिकने के समाचार भी आते हैं।
शराब पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करने वालों को हम यह भी बता दें कि इस समय देश में मादक द्रव्य पदार्थों की बिक्री और उनका सेवन जमकर हो रहा है। यह महंगेे तथा स्वास्थ्य के लिये भयावह होते हैं। हम पंजाब में युवाओं के जिस नशे को लेकर चिंतित रहते हैं वह शराब नहीं वरन् पाकिस्तान से आने वाले यही मादक पदार्थ हैं। वैसे पंजाब ही नहीं पूरा देश ऐसे नशों की जाल में फंसा है जिनका अवैध रूप से वितरण होता है। देखा जाये तो युवा कौम बुरी तरह से इसके जाल में फंसी है।
इधर शराब के साथ ही तंबाकू का भी विरोध होता है। हम बता दें कि सादा तंबाकू का सेवन भी चूने के साथ होता है। यह भी ठीक नहीं है पर इससे ज्यादा खतरनाक तो पाउच में बिकने वाले तंबाकू निर्मित पदार्थ हैं। उनके विज्ञापन भी बेधड़क दिखते हैं। विशेषज्ञ उन पर ही प्रतिबंध की मांग करते हैं पर उसकी आड़ में सादा तंबाकू पर रोक लगाने की बात होती है। कुछ लोग मानते हैं कि सादा तंबाकू के साथ अगर सुपारी न खायी जाये तो वह अधिक कष्टकारक नहीं होती-पर इसका आशय यह नहीं कि हम उसका समर्थन करें पर इतना जरूर कहते हैं कि सादा तंबाकू का सेवन हमारे यहां सदियों से हो रहा है इसलिये उस पर रोक की बजाय पाउच वाले तंबाकू पर बैन लगाना चाहिये।
हमारा तो यह कहना है कि शराब तथा तंबाकू पर सेवन पर राजकीय प्रतिबंध लगाकर लोकप्रियता का सूत्र अपनाने वाले अगर मादक पदार्थों के वितरण व सेवन को रोककर बतायें तो हम माने कि वह कुशल प्रबंधक हैं। देश में इन खतरनाक मादक पदार्थों की बिक्री जमकर हो रही है। इतना ही नहीं मादक द्रव्य के सौदागर बहुत ताकतवर भी माने जाते हैं। अगर आप हमें कट्टर समझें तो आपत्ति नहीं है तब भी कहेंगे कि उच्च स्तरीय क्रिकेट भी सट्टे के लिये प्रेरक है उस पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाये। न लगाया जाये तो उसका सीधा प्रसारण रोक दिया जाये। हमने मादक द्रव्य पदार्थों के सेवन और सट्टे पर पैसा खर्च करने वालों के हाल देखें है। शराब या सादा तंबाकू बंदी तो सरलता से लोकप्रियता दिलाने वाली है इसलिये कोई भी कर सकता है पर अगर प्रबंध का कौशल और पराक्रम है तो तीव्र मादक पदार्थों पर सट्टे वाले क्रिकेट पर रोक लगाकर दिखायें।
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