प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग साधक हैं और मानना पड़ेगा कि उनकी बुद्धि तथा वाणी में सरस्वती विराजती है। कोझिकोड में आज उनके भाषण का सही अर्थ बहुत कम लोग समझ पायेंगे। खासतौर से राष्ट्रवादी विचारकों के लिये भाषण के पूरे मायने समझना कठिन होगा-वह अखंड भारत का सपना देखते हैं पर कोई सार्वजनिक रूप से हमारी तरह नहीं कह पायेगा कि यह भाषण ‘अखंड भारत’ के प्रधानमंत्री का भाषण था। मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सिंध, बलूचिस्तान और पख्तूनों की जनता को बता दिया कि पाकिस्तान का मतलब पंजाब तक ही सीमित है। नवाज शरीफ और राहिल शरीफ पंजाबी हैं-इसी कारण आज तक वहां सेना लोकतंत्र का बोझ ढो रही है। भारत तथा पाकिस्तान के टीवी चैनलों अनेक पाक सेना के पूर्व अधिकारी पंजाबी वक्त आते हैं जिन्हें लाहौर व इस्लामाबाद से आगे कुछ दिखता नहीं जहां से अब उनके लिये आफत आने वाली है।
नवाज शरीफ आज आराम से सो सकते हैं क्योंकि मोदी जी ने त्वरित रूप से सैन्य कार्यवाही का संकेत नहीं दिया पर अपनी वायुसेना को इधर से उधर उड़ाकर पाकिस्तान को युद्ध की तैयारी के लिये तत्परता दिखाने वाला राहिल शरीफ अगले अनेक कई दिनों तक सो नहीं पायेगा। कहते हैं कि जहां तलवार काम नहीं करती वहां कलम या शाब्दिक चातुर्य काम करता हैं। पाकिस्तान के कथित पंजाबी राष्ट्रभक्त आज अपने देश का नक्शा देख रहे होंगे जो पश्चिमी पंजाब तक सिमटा नज़र आयेगा। राष्ट्रवादी शायद ही इस बात को समझ पायेंगे कि आज प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के बाद अपने दूसरे भाषण में प्रगतिशील और जनवादी विद्वानों का उद्वेलित कर दिया है।
इस भाषण को सिंध और पंजाब से आये हिन्दुओं की वह पीढ़ी पूरी तरह समझेगी जिसने अपने बुजुर्गों की आंखों में बंटवारे का दर्द देखा है। हमने अपनी माता पिता की आंखों में सिंध का नाम लेते ही जो दर्द देखा है उसे आज तक नहीं भूले। सिंधी हिन्दूओं की पूरी कौम एक तरह लुप्त करने का षड्यंत्र रचा गया-यही कारण है कि जब देशभक्ति जागती है तो ऐसे महापुरुषों के प्रति भी मन वितृष्णा से भर जाता है जिन्हें कथित स्वतंत्रता के बाद महापुरुष कहा जाता है।
याद रखें यह भारत के प्रधानमंत्री का भाषण था जिसे सरकारी घोषणा या नीति भी माना जाता है। आज तक किसी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के सिंधी, बलूच तथा पख्तून जनमानस को इस तरह सीधे संबोधित नहीं किया। यह अनोखा दिन है-राहिल शरीफ की सारी अकड़ इतने में ही निकल जायेगी। वह सोचेगा कि आखिरी वह किस पाकिस्तान का सेनाध्यक्ष है। सिंध, बलूच और पख्तून जनता पर इसका जो प्रभाव होगा उसका अनुमान वही कर सकता है जो पाकिस्तान की मीडिया पर नज़र रखे हुए है-पाक टीवी चैनल पर एक पंजाबी पूर्व सैन्य अधिकारी पख्तूनों को नमकहराम तक करार दिया था। जातीय संघर्ष में फंसा पाकिस्तान अब धार्मिक परचम के नीचे एक नहीं रह पायेगा। तत्काल तो नहीं पर कालांतर में यह भाषण धीमा और मीठा परमाणु बम भी साबित हो सकता है।
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नोट-अगर कोई टीवी चैनल वाला हमें इस विषय पर हमें आमंत्रित करना चाहे तो हम कल दिल्ली आने वाले हैं।
दीपकबापूवाणी
I really like your post about our PM speech,thanks for share this post.
ReplyDeleteGold Jackpot Plan