हमारा मानना है कि भारत में पाकिस्तान के कलाकारों को काम करने का अवसर अब नहीं देना चाहिये क्योंकि दुनियां में उसे अलग थलग करने के प्रयासों मे शेष विश्व को यह दिखाना पड़ेगा कि हम हर क्षेत्र में अपना काम कर रहे हैं। यह तर्क राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत दिखता है पर इसमें साक्ष्य है जिसे समझा जाना चाहिये। कुछ लोग हैं जो पाकिस्तानी कलाकारों पर बंदिश का विरोध कर रहे हैं। हम उनके विरोध से सहमत नहीं है पर इसका मतलब यह नहीं है कि हम देशद्रोही कहकर अपमानित करें। राष्ट्रभक्त के प्रमाणपत्र के लिये ऐसे आलोचकों को राष्ट्रदोही कहना हमें सही नहीं लगता। राष्ट्रभक्ति के नाम पर अभिव्यक्ति की शर्तें तय नहीं होना चाहिये।
हमारे देश के ही अनेक फेसबुकिये ऐसे वीडिया हमारे सामने रख रहे हैं जिसमें पाक के कुछ चैनल अपने यहां निष्पक्ष लोगों की बात दिखाते हैं जो अपने ही देश के लोगों से सहमत नहीं होते पर इसका मतलब यह कतई नहीं कि उन्हें वहां देशद्रोही कहकर अपमानित करते हों। अतः हमारा अपने ही देश के बुद्धिमानों से आग्रह है कि वह फिल्मों में पाक कलाकारों का भारत में काम करने का समर्थन कर रहे हैं उनका तर्क से सामना करें पर उन्हें देशद्रोही कहकर तिरस्कृत न करें। वैसे तो इस वातावरण में भारतीय टीवी चैनलों को स्वयं ऐसे ही समाचारों से बचना चाहिये।
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अर्नब गोस्वामी ने पहली बार एक शब्द उपयोग किया ‘मुंबईया फिल्मों में पाक समर्थक लॉबी’ है। कोई हमारी यह राय भी वहां तक पहुंचा दे कि यह कमाई की वजह से पाक की नहीं बजाते बल्कि उनकी पूंछ दबी हुई हैं। किसने दबा रखी है सब जानते हैं।
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अब यह यकीन होने लगा है कि पाकिस्तान की नादान सेना मानेगी नहीं और भारतीय सेना बिना क्षति उठाये उसका नामोनिशान मिटा देगी-यह हमें अपनी सेना की रणनीति देखकर यही लगता है-तब यहां उसकी समर्थक फिल्म लॉबी का क्या होगा?,
पाकिस्तान के कलाकारों पर प्रतिबंध लगाना इसलिये भी जरूरी है कि उसे विश्व में अलगथलग करने के लिये लिये हमें उसका शत्रू दिखना है। मुंबईया फिल्म में पाक समर्थक लॉबी अगर इस तरह विलाप करेगी तो जनता उनके फिल्म और नाटकों का नकार देगी।
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