कुछ जनवादी संगठनों
के कथित वैचारिक युवा अक्सर मनुस्मृति को जलाने की बात करते सुने। कहते हैं कि उसमें दलितों के लिये खराब बातें
कही गयी हैं। उनकी बात सुनकर हमारी राय तो
यह बनी है कि जिस तरह श्रीमद्भागवत को पढ़ने के बावजूद उसे समझे बिना उसके ज्ञान का
प्रचार पेशेवर ज्ञान प्रचारक करते हैं उसी तरह ही मनुस्मृति के कुछ अंश पढ़े बिना
ही उसका दुष्प्रचार करने वाले भी विद्वान
कम नहीं है। पहली बात तो यह कि मनुस्मृति में जन्म के आधार पर जाति का
उल्लेख है तो कर्म भी उसके निर्माण का तत्व माना गया है। इसका आशय यह है कि जन्म
के आधार पर एक जाति हो सकती है तो कर्म के आधार पर उसमें बदलाव भी माना जा सकता
है। दूसरी बात यह कि हर प्रकार के कर्म
करने वाले का यह धर्म है कि अपनी योग्यता के अनुसार ही उपलब्धि ग्रहण करे।
मनुस्मृति में कहा गया है कि
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आतपास्त्वनाधीयानः प्रतिग्रहरुचिद्विंजः।
अम्भस्यश्मप्लचेनैव सह तेनैव मजति।।
हिन्दी में भावार्थ-जो विद्वान तपस्या व विद्या से रहित होने पर भी दान लेता
है वह नरक भोगता है जैसे पत्थर की नाव पर चढ़ने वाला व्यक्ति उसके साथ ही डूब जाता
है।
हमारे यहां दान की परंपरा है उसमें यह शर्त जोड़ी गयी है कि
सुपात्र को ही दिया जाना चाहिये। सुपात्र
में किसी की जाति का उल्लेख नहीं है इसलिये किसी वर्ण विशेष पर दान से कृपा नहीं
हो सकती। इतना ही नहीं जो आमजनों में ज्ञान प्रचार का काम करते हैं वह भी अगर उस
राह पर नहीं चलते तो उन्हें भी दानदक्षिणा लेने का अधिकार नहीं-यही मनुस्मृति में
कहा गया है। कभी कभी तो लगता है कि मनुस्मृति का विरोध करने के लिये कथित उच्च
जाति के ज्ञान विक्रेता दलित जाति के लोगों को इसलिये उकसाते हैं ताकि उसमें जो
जाति, धर्म तथा ज्ञान के जो सिद्धांत बताये गये हैं उसे वह न पढ़ें
न समझें। उनका लक्ष्य समाज में अज्ञान के अंधेरे में स्वर्ग की कृत्रिम रौशनी
बेचकर अपना धंधा बनाये रखना है। इतना ही नहीं मनुस्मृति में भ्रष्टाचार, व्याभिचार तथा हत्या के
भी कड़े दंड बताये गये हैं जिससे कुछ लोग भयभीत हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.comयह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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