ओसामा बिन लादेन तब तक प्रचार में जिंदा रहा जब तक प्रचार प्रबंधकों को यह लगा कि वह उनके लिये समाचारों पर सनसनी बनाये रखने के लिये उसका नाम जीवंत होना जरूरी है। जब बगदादी का नाम स्थापित हो गया तब उसे पाकिस्तान के एबटाबाद में एकाउंटर में उसे मरा बताया। लादेन को कितनी बार मीडिया ने मरा बताकर फिर उसे जिंदा बताया। अब यही हाल बगदादी का है। उसे कम से कम दस बार मृत घोषित कर फिर उसे जीवित बताकर लगातार सनसनी बिक रही है। हमें तो लगता है कि बगदादी नाम का कोई व्यक्ति ऐसा हुआ ही नहीं होगा जो इतना बड़ा आतंकवादी संगठन चलाये। इराक, सीरिया तथा लीबिया में सरकारों के पतन से वहां अपराधी गिरोह बन गये होंगे जिन्हें अमेरिका, रूस तथा अन्य राष्ट्र हथियार राजस्व कमाते हैं-अब यह सिद्ध भी हुआ है कि वहां अमेरिका तथा रूस कहीं न कहीं आतंकवादियों के सहायक हैं। हमारा तो मानना है कि लादेन भी बहुत पहले मारा गया था पर जब बगदादी का अभ्युदय तब उसे मरा बताया। अब बगदादी भी तब तक रहेगा जब कोई तीसरा नहीं आ जाता।
इस पूरे विश्व पर ‘प’ समूह-पूंजीपति, प्रचारक, प्रबंध तथा पतितों के मिलेजुले संगठन-चला रहे हैं। पूंजीपति पतितों की आड़ में अपने धंधे चलाते हैं तो उनका भय दिखाकर अपनी ताकत प्रचार माध्यमों में दिखाते हैं। इतना ही नहीं इनकी ताकत इतनी ज्यादा है कि अनेक जगह राज्यप्रबंधक भी इनका साथ निभाते हैं। इसलिये ओसामा बिन लादेन हो या बगदादी या अन्य खलनायक इतने खूंखार, चतुर और बाहूबली न हों जितने बताये जाते हैं। मजे की बात यह कि ऐसे लोग कहीं न कहीं कभी किसी देश के राज्य प्रबंधकों के सपंर्क रखते हैं और बाद में उनमें बिगाड़ होने पर निशाना बनते हैं। इनका नाम पहले खलनायक की तरह पकाया जाता है ताकि कोई नायक उसे खाकर प्रचार माध्यमों में विज्ञापन प्रसारण के बीच समाचार बनाता है। कम से कम हम जैसे चिंतक तो यही सोचते हैं।
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