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Wednesday, November 25, 2015

गुरुनानकदेवजी पूरे विश्व के लिये प्रेरक-गुरुनानक जंयती पर लेख(Gurunanakji Inspiration for all World-Hindi Article on Gurunanak Jayanti hindi lekh)

आज गुरुनानक जयंती देश भर में मनाई जा रही है। हमारे देश में आजादी के पहले तक धार्मिक विभाजन की चर्चा नहीं होती थी पर अब लोग करने लगे हैं-इससे एक बात साफ होती है कि देश में अध्यात्मिक ज्ञान के अभाव है। गुरुनानक जी ने हिन्दू धर्म में अंधविश्वासों के निवारण का ऐसा काम किया जिसे देश में चेतना का वातावरण बना-इसी कारण उन्हें भगवत्रूप माना जाता हैं। भारतीय अध्यात्मिक विचाराधाराओं को मानने वाले सभी लोग  गुरुनानक जी को मानते हैं पर कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले उन्हें सिख धर्म के प्रथम प्रवर्तक के रूप में ही प्रचारित करते हैं। गुरुग्रंथ साहिब में अनेक बार राम का नाम लिखा है। इसके संदेश इतने स्पष्ट हैं कि उन्हें समझकर कोई भी व्यक्ति संसार का सत्य समझ सकता है।
गुरुग्रंथ साहिब में कहा गया है कि
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साधो रचना राम बनाई।
इकि बिनसै इक अस्थिरु माने अचरजु लखिओ न जाई।।
                           हिन्दी में अर्थ-यह संसार राम की रचना है। हैरानी इस बात की है कि एक आदमी सबके सामने मरता है फिर भी अन्य लोग यह सोचते हैं कि वह तो हमेशा स्थिर रहने वाले हैं।
                           इस तरह अनेक संदेशों का अर्थ समझें तो ऐसे लगेगा कि हम अनेक प्रकार के भ्रमों में जी रहे हैं। हम अपने साथ अनेक प्रकार की आशायें, कामनायें तथा इच्छायें लिये होते हैं जो कालांतर में भय, निराशा तथा तनाव का वातावरण बनाती हैं। इसलिये आज गुरुनानक देव जी के संदेशों को अधिक से अधिक समझने की जरूरत है।
                           गुरुनानक जी जैसे महापुरुष संसार में सदियों बाद आते हैं। यह हमारी भारतभूमि के लिये गर्व की बात है कि ऐसे महापुरुष पूरे विश्व के लिये प्रेरक बनते हैं। गुरुनानक जयंती पर सभी ब्लॉग लेखक साथियों, फेसबुक मित्रों तथा ट्विटर के अनुयायियों को बधाई।

दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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1 comment:

  1. बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
    गुरु नानक जयंती की आपको भी शुभकामनायें
    जय गुरुदेव

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