अमेरिका ने अफगानिस्तान में क्या बम गिराया उससे सन्नाटा भारत में छा गया है। अरे भई, यह अमेरिका नये नये हथियार बनाता है और फि र ऐसी जगहों पर प्रयोग करता है जहां से प्रतिरोध की कोई संभावना नहीं है। अमेरिका कभी उत्तर कोरिया पर हमला नहीं करेगा क्योंकि वहां से प्रतिकार की संभावना है। यह तो अमेरिका भी कह रहा है कि उसने बमों की मां प्रयोग के लिये अफगानिस्तान में गिरायी है। भारत के लोग ऐसे सहम गये हैं जैसे कि कहीं अमेरिका नाराज होकर हम पर हमला न कर दे। अमेरिका अपने दुश्मनों से कोई लड़ायी नहीं जीता। उसने हमेशा ही अपने ऐसे लोगों को निपटाया है जो उसके कभी मित्र थे-हिटलर, सद्दाम हुसैन, कद्दाफी और लादेन कभी अमेरिका के गोदी में बैठे थे। इनको भी अकेले नहीं निपटाया वरन् मित्र देश उसके साथ रहे। अकेले लड़कर वियतनाम में अमेरिका बुरी तरह से हार चुका है। लगभग यही स्थिति चीन की भी है उसे भी वियतनाम युद्ध में मुंह की खानी पड़ी थी। भारतीय नेता चतुर हैं वह अमेरिका से मित्रता तो करते हैं पर उसकी गोदी में नहीं बैठते। फिर भारत की सैन्य क्षमता अमेरिका से थोड़ी ही कम होगी। बहरहाल इस बम को एक विज्ञापन ही समझो। उसने बीस हजार करोड़ खर्च कर 36 आतंकी मारे-इस दावे को कोई प्रमाण नहीं है। अब इस बम को बेचने की करेगा।
ट्रम्प ने चुनावों में कहा था कि अमेरिका उनके लिये पहले हैं और वह दूसरे देशों की मदद में अपना समय और पैसा बर्बाद नहीं करेंगे। कुछ लोग कहते हैं कि दुनियां भर में इंसानी मुखौटे राज्य कर रहे हैं पर उनकी डोर खुफिया एजेंसी के हाथ में होती है। ट्रम्प ने भी देख लिया कि राजकाज से सीधे जनता का भला तो हो नहीं सकता इसलिये अपनी राष्ट्रवादी छवि बचाये रखने के लिये खुफिया एजेंसियों की मात मान लो। वैसे हमें यह विज्ञापन अच्छा लगा। सुनने में आ रहा है कि भारत का भी एक लड़का इसमें मरा है पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। हम सोच रहे थे कि इस विज्ञापन से कहीं न कहीं भारतीय लोगों को भी प्रसन्न करने की कोशिश जरूर होगी। सच क्या है? यह तो हमें पता नहीं पर इतना तय है कि इससे कोई बड़ा युद्ध नहीं भड़केगा। तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाये तो बिल्कुल नहीं है।
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