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Tuesday, October 13, 2015

नवरात्रि पर्व के साथ ही वातावरण में आनंद का आगमन-हिन्दी चिंत्तन लेख(Navratriparva ke sath hi vatavaran mein Anand ka Agaman-HindiThought article)


                                   आज सुबह योगसाधना करने के दौरान बहुत समय बाद थोड़े अच्छे मौसम की अनुभूति हुई।  जब दैहिक सक्रियता अधिक करने वाले आसन करते तब तो पसीना आ जाता पर विश्राम वाले आसन के समय वह सूख भी जल्दी जाता था।  बाद में योग साधना करते करते ही जब पास पड़े अखबार पर नज़र गयी तो पता लगा कि आज से नवरात्रि प्रारंभ हो गये हैं।  हमारे मुख से निकला आह!
                                   भारती अध्यात्मिक दर्शन, धर्म, कर्म और जीवन शैली पर नाकभौं सिकोड़ने वालों को आज तक प्रचार माध्यमों में एकदम निरपेक्ष, निरापद और और निष्पक्ष माना जाता है। हालांकि ऐसे बुद्धिमानों को  न तो उन्हें योग साधना करना आती है न ही वह गीता ज्ञान का अध्ययन करते हैं इसलिये उन्हें पता नहीं कि बसंत का बंधते हैं।  आजकल एक विशेष विचारधारा के लेखक किसी अज्ञात योजना के तहत अपने सम्मान वापस कर रहे हैं।  उनका यह दुष्प्रचार है कि भारतीय धर्म, कर्म और शर्म समाज पर थोपी जा रही है।  वह कहते हैं कि भारत मे मिलीजुली धर्म संस्कृति की मान्यता ध्वस्त हो रही है। हमारा इसके विपरीत मानना है कि देश में जो विवाद हो रहे हैं  वह कर्म संस्कृति की विभिन्नता के कारण हैं और वह भी कथित बौद्धिक ठेकेदार कराते हैं।
                                   इस बार बारिश कम हुई है इसलिये वातावरण में उष्णता अधिक है। मनुष्य चाहे या नहीं वह गुणों के अधीन रहता ही है। जहां प्रातःकाल मन प्रसन्न रहता है वहीं दोपहर होते दिमाग सुस्त या तनाव में आ जाता है।  इससे मनुष्य के व्यवहार में अंतर पड़ता ही है।  भारत में बारिश कम होने से किसानों की फसलें नष्ट हुईं हैं या इतनी कम हुई कि उनके घर खर्च के लिये संकट पैदा हो गया है।  नवरात्रि प्रारंभ होने से पर्वों की श्रृंखला प्रारंभ हुई है पर पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि जनमानस में उत्साह की धारा प्रवाहित हुई हो। हालांकि दशहरा और दिवाली आते आते मौसम ठंडा हो जोयगा तब शायद लोगों के चेहरे पर चमक आती दिखे।  भारतीय पर्व वैज्ञानिक ढंग से ही बने हैं इसमें चाहे अनचाहे प्रसन्नता का भाव आ ही जाता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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1 comment:

  1. बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति।
    सभी को नवरात्रि‍ की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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