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Tuesday, June 23, 2009

भर्तृहरि नीति शतक-सज्जन लोगों को प्रणाम

वांछा सज्जनंगमे परगुणे प्रीतिर्गुरो नम्रता विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद्भयम्
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले येष्वते निवसन्ति निर्मलगुणास्तेभ्यो नरेभ्यो नमः

हिंदी में भावार्थ- अच्छे लोगों से मित्रता का की कामना, गुरुजनों के प्रति नम्रता, विद्या और ज्ञान प्राप्ति में रुचि, स्त्री से प्रेम, लोकनिंदा से डर,भगवान शिव की भक्ति,अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण और दुष्ट लोगों की संगत का त्याग-यह सभी गुण सज्जन पुरुषों के प्रमाण है। ऐसे सज्जनों को प्रणाम।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-आधुनिक युग में लोगों का न केवल नैतिक पतन हुआ है बल्कि उनके विचार करने की शक्ति का भी ह्रास हुआ है। सज्जन पुरुषों से मित्रता की बजाय लोग दादा टाईप लोगों के साथ मित्रता इस आशा से करते हैं कि वह भविष्य में उनको सुरक्षा प्रदान करेंगे। शांति से साधना करने वाले गुरुओं की बजाय पहुंच वाले गुरुओं की शरण लेते हैं । आम लोगों की इस प्रवृति ने समाज के हर क्षेत्र में दलाली को प्रोत्साहन दिया है। छल कपट से स्वयं को शक्तिशाली प्रमाणित करने वाले लोग समाज में सम्मान पा रहे हैं फिर यह कहना कि जमाना खराब हो गया है-बेकार का प्रलाप है। जिसे धन या सम्मान पाना है वह ‘बदनाम हुए तो क्या नाम तो है’ का नारा लगाते हुए ऐसे कामों में लग जाता है जो दो नंबर का होता है-जिसमें उसे दलाली मिलती है। लोकनिंदा का भय तो कदाचारी लोगों में कतई नहीं है। अब तो लोकनिंदा की कोई परवाह नहीं करता।

हम इसके लिये किसी एक व्यक्ति या समाज को उत्तरायी ठहरायें तो आत्ममंथन की प्रक्रिया से भागने जैसा होगा। हम लोग कहीं न कहीं अपनी निष्क्रियता से ऐसे दुष्ट लोगों को प्रोत्साहन दे रहे हैं जो विश्वसनीय और भरोसेमंद दिखते हैं पर होते नहीं हैं। समाज सेवा और जन कल्याण के नाम भ्रष्टाचार करने वालों की हम उपेक्षा करने की बजाय उनकी उपलब्धियों पर उनको बधाई देते हैं। उनके यहा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेकर उनको अनुग्रहीत करते हैं। किसी को उसके कटु सत्यों का बयान करने का साहस नहीं होता। अगर हम चाहते हैं कि समाज शुरु रहे तो पहले हमें अपने अंदर शुद्धता का भाव लाना होगा जिसके लिय यह जरूरी है कि सज्जन लोगों से संपर्क करें और दुष्टों के प्रति उपेक्षा का भाव प्रदर्शित करें।
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2 comments:

  1. वर्तमान संदर्भ की व्याख्या बहुत पसन्द आयी। मेरे हिसाब से आप एक नेक काम कर रहे हैं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. ab toh ye zaroori ho gaya hai ki sajjan logon ko protsaahan diya jaaye..........anyathaa..........bahut der ho jaayegi

    acchi baat-acchi post
    abhinandan !

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