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Saturday, May 30, 2015

अदृश्य दैत्य के लिये अप्रकट देवता की आवश्यकता-हिन्दी व्यंग्य चिंत्तन लेख(drishya daitya ke liye aprakat devta ke aavashyakata-hindi thought article)

अभी हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल नियंत्रण संस्था के उच्च पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात सामने आयी है। हमारे देश में जब क्रिकेट में भ्रष्टाचार की चर्चा होती है तो खेलप्रेमियों का हृदय ग्लानि से भर जाता है पर जब वैश्विक प्रचार माध्यम टेनिस, फुटबाल और मुक्केबाजी में भी कदाचार की बात कहते हैं तब हैरानी होती है। हमारे देश में क्रिकेट तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फुटबाल, टेनिस और मुक्केबाजी में परिणाम पूर्व से तय करने के आरोप लगते रहते हैं।
आमतौर से भ्रष्टाचार और राजस्व चोरी का विषय राजकीय संस्थाओं से ही जोड़ा जाता रहा है। हमारे अध्यात्म दर्शन में इसकी चर्चा है जिससे यह समस्यायें आदिकाल से ही चली आ रही हैंे यह माना जा सकता है। राजकीय कर्मियों के भ्रष्ट होने की बात पुरानी थी इसलिये आश्चर्य नहीं होता पर आधुनिक समय में  कला, साहित्य, पत्रकारिता, फिल्म और टीवी क्षेत्र में भी शिष्टाचार की आड़ में अनिष्टाचार की बात सामने आती है।  आधुनिक आर्थिक, सामाजिक, खेल तथा धार्मिक संगठनों में ऐसी घटनायें सामने आ रही हैं जिसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जाने लगा है। दरअसल पूरे विश्व में कंपनियों के नाम पर ऐसे आर्थिक समूह बन गये हैं जिनके शिखर पर चरित्रवान का मुखौटा पहने ऐसे लोग विराजमान हो गये हैं जिनका संचालन काली नीयत वाले लोग करते हैं। वामपंथी विचारक कंपनी को एक दैत्य मानते हैं जो कि प्राचीन खलनायकों से ज्यादा शक्तिशाली होता है। जब पूरे विश्व में धार्मिक महानायकों के चरित्र पर दृष्टिपात करते हैं तो उनके सामने एक खल मनुष्य जरूर होता है जिसे वह परास्त कर समाज का उद्धार करते रहे हैं।  वह देहधारी के रूप में खलनायक से जूझते दिखते हैं इसलिये समाज उन्हें अपनी आंखों में उतार लेता है।  कंपनी नाम है पर उसका वास्तविक संचालक अदृश्य है। जो दिख रहा है वह संचालक पर्दे के पीछे से मिल रहे इशारे पर चलता है।  इसलिये इस ढांचागत दैत्य के  वास्तविक स्वामियों को पहचानना सहज नहीं है। इस अदृश्य कंपनी दैत्य के विरुद्ध-जिसे सफेदपोश मुखौटे और काली नीयत वाले चालाक इंसानों का अ अप्रकट संयुक्त उपक्रम भी कहा जा सकता है-कोई अदृश्य देवता लाना मुश्किल ही लगता है। खासतौर से विश्व में पूरे धर्मभीरु लोग यह मानते हैं कि सर्वशक्तिमान देहधारण कर दैत्यों का नाश करते हैं पर इस अदृश्य दैत्य के लिये तो किसी अप्रकट अवतार की आवश्यकता है जो आज तक देखा नहीं गया।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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