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Saturday, June 27, 2009

भर्तृहरि नीति शतक-प्रतिष्ठत आदमी हो जाता है घमंड के बुखार का शिकार

न नटा न विटा न गायकाः न च सभ्येतरवादचंचवः।
नृपमीक्षितुमत्र के वयं स्तनभारानमिता न योषितः।।
हिंदी में भावार्थ-
महाराज भर्तृहरि कहते हैं कि न तो हम नट हैं न गायक न असभ्य ढंग से बात करने वाले मसखरे और न हमारा सुंदर स्त्रियों से कोई संबंध है फिर हमें राजाओं से क्या लेना देना?

स जातः कोऽप्यासीनमदनरिमुणा मूध्निं धवलं कपालं यस्योच्चैर्विनहितमलंकारविधये।
नृभिः प्राणत्राणप्रवणमतिभिः कैश्चिदधुना नमद्धिः कः पुंसामयमतुलदर्प ज्वर भरः।
हिंदी में भावार्थ-
महाराज भर्तृहरि कहते हैं कि भगवान शिव ने अपने अनेक खोपड़ियों की माला सजाकर अपने गले में डाल ली पर जिन मनुष्यों को अहंकार नहीं आया जिनके नरकंकालों से वह निकाली गयीं। अब तो यह हालत है कि अपनी रोजी रोटी के लिये नमस्कार करने वाले को देखकर उससे प्रतिष्ठित हुआ आदमी अहंकार के ज्वर का शिकार हो जाता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-जिसे देखो वही अहंकार में डूबा है। जिसने अधिक धन, उच्च पद और अपने आसपास असामाजिक तत्वों का डेरा जमा कर लिया वह अहंकार में फूलने लगता है। अपने स्वार्थ की वजह से सामने आये व्यक्ति को नमस्कार करते हुए देखकर कथित बड़े, प्रतिष्ठित और बाहूबली लोग फूल जाते हैं-उनको अहंकार का बुखार चढ़ता दिखाई देता है। यह तो गनीमत है कि भगवान ने जीवन के साथ उसके नष्ट होने का तत्व जोड़ दिया है वरना वह स्वयं चाहे कितने भी अवतार लेते ऐसे अहंकारियों को परास्त नहीं कर सकते थे।
अधिक धन, उच्च पद और बाहूबल वालों को राजा मानकर हर कोई उनसे संपर्क बढ़ाने के लिये आतुर रहता है। जिसके संपर्क बन गये वह सभी के सामने उसे गाता फिरता है। इस तरह के भ्रम वही लोग पालते हैं जो अज्ञानी है। सच बात तो यह है कि अगर न हम अभिनेता है न ही गायक और न ही मसखरी करने वाले जोकर और न ही हमारी सुंदर स्त्रियों से कोई जान पहचान तब आजकल के नये राजाओं से यह आशा करना व्यर्थ है कि वह हमसे संपर्क रखेंगे। बड़े और प्रतिष्ठित लोग केवल उन्हीं से संपर्क रखते हैं जिनसे उनको मनोरंजन या झूठा सम्मान मिलता है या फिर वह उनके लिये व्यसनों को उपलब्ध कराने वाले मध्यस्थ बनते हों। अगर इस तरह की कोई विशेष योग्यता हमारे अंदर नहीं है तो फिर बड़े लोगों से हमारा कोई प्रयोजन नहीं रह जाता।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

  1. saadhu saadhu.

    waah waah

    anand aa gaya.........badhaai !

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