कथित रूप से अगर
किसी धर्म का नाम लेकर उसके सिद्धांतों पर राज्यप्रबंध चलाने की बात कही जायेगी तो
तय है कि उसके विद्रोही भी अपना संगठन चलाने की बात कहा सकते हैं। तब निष्पक्ष व्यक्ति
यह तर्क स्वीकार कैसे कर सकता है कि राज्यप्रबंध
का धर्म से संबंध है पर आतंकवाद का नहीं।
आतंकवाद विश्व में एक व्यवसाय की तरह चल रहा है। आतंकी संगठन भी धर्म का उपयोग
उसी तरह कर रहे हैं जैसे कि सफेदपोश व्यवसायी करते हैं। इस विषय पर धर्म के नाम पर
बहस करने वालों में वैचारिक खोखलापन साफ दिखता है। दरअसल धर्म को लोगों ने पूजा पद्धति, खानपान, रहनसहन और चाल चलने के नियमों
का समूह मान लिया है। विदेशी विचाराधाराओं पर यह नियम लागू हो पर भारतीय अध्यात्मिक
दर्शन पर लागू नहीं होता। इसके अनुसार सांसरिक तथा अध्यात्मिक विषय प्रथक प्रथक हैं।
हमें ऐसा लगता है कि भारत के बाहर पनपी विचाराधाराओं
में अध्यात्मिक ज्ञान का नितांत अभाव है शायद यही कारण है कि उसके कुछ अनुयायियों में
अपने ही मत को लेकर भ्रम की स्थिति है जिससे आतंकवाद का वैश्विक संकट खड़ा हुआ है।
इस समय
विश्व में चल रहे आतंकवाद के इतिहास पर नज़र डालें तो यह साफ दिखेगा कि यह पैंतीस से
अधिक वर्ष से चल रहा है। यह अलग बात है कि समय के साथ आतंक के शीर्ष और उनके संगठनों
के नाम बदलते रहे हैं। हथियारों के नये रूप
तथा प्रचार माध्यमों की नयी तकनीकी के साथ आतंकवादी संगठनों का कार्यशैली बदल जाती
है। हमने पिछले दस वर्षों से स्वयं देखा है कि पहले वेबसाईटें, ब्लॉग तथा अन्य साधनों के
साथ पहले आतंकवादी बनाते हैं तो अब फेसबुक और ट्विटर भी का भी उन्होंने पहले अपने ढंग
से पूरा उपयोग किया। जहां तक आतंकवाद का युद्ध से सामना करने का सवाल है वह एक अलग
विषय है पर समस्या यह है कि कुछ लोग इस पर वैचारिक बहस कर अपनी धार्मिक चर्चायों करने
लगते हैं और इससे समाज में भ्रम फैलता है। यही कारण है कि कम से कम इस संकट का हल वैचारिक
प्रहार से होता नहीं दिखता। जब तक भारतीय दर्शन के आधार पर अध्यात्मिक तथा सांसरिक
विषयों को प्रथक नहीं देखा जायेगा तब तक आतंकवाद का कम से कम वैचारिक रूप से मुकाबला करना बेमानी है।
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.comयह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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