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Friday, October 30, 2015

कहां है चीन के विकास से सबक लेने वाले-हिन्दी चिंत्तन लेख (Chenge in China Populatain policy-Hindi thought aritcle)

                               
            चीन से विकास का सबक सीखने का उपदेश देने वाले बतायें कि आखिर चीन ने जनसंख्या नीति में हम दो हमारा एक का सिद्धांत हटाकर हम दो हमारे दो क्यों बना दिया। दरअसल उलटपंथी हमेशा ही भौतिक विकास की बात करते हैं।  वह हमेशा ही समाज मेें व्याप्त गरीबी, असमानता और भेदभाव समाप्त कर धरती पर स्वर्ग लाने का सपना बेचकर लोगों को भ्रमित करते हैं।  उलटपंथी कार्ल मार्क्स के पूंजी ग्रंथ को गीता  बताते हैं जबकि उसमें अध्यात्मिक ज्ञान का ककहरा भी नहीं है।
                                   जब तक चीन हम दो हमारे एक के सिद्धांत पर चल रहा था उसने खूब भौतिक विकास किया। यह अलग बात है कि उसका विकास बड़े शहरों से होकर मंझोले और छोटे शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कितना पहुंचा इसकी व्यापक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बहरहाल अब वहां के समाज को वृद्ध प्रधान माना जाता है।  इसके विपरीत भारत अब युवा प्रधान देश हो गया है। चीन ने औद्योगिक विकास खूब किया। अपना निर्यात बढ़ाया जिससे उसकी आर्थिक शक्ति बढ़ी। अब समस्या दूसरी आयी है।  विश्व में आर्थिक मंदी आ गयी है। चीन के अनेक उत्पादन आकर्षक तथा सस्ते होने के बावजूद अधिक टिकाऊ नहीं होते।  अगर जेब में पैसा हो तो भारत के स्वदेशी उत्पादन आज भी श्रेष्ठ माने जाते हैं। चीन में लोगों की क्रय क्षमता का स्तर क्या है यह पता नहीं पर इतना तय है कि वह अपने उत्पादन  देश में खपाने में सक्षम नहीं है। मजदूरों का अभाव हो रहा है-तय बात है कि उपभोक्तओं का भी अभाव होगा।
                                   एक तरह से कहें तो समाज समाप्त ही हो गया होगा। हम समाज का यहां सिद्धांत  है कि व्यक्ति से परिवार और परिवार से समाज होता है।  जहां एक दंपत्ति के पास एक बच्चा होगा तो उसके पास भाई या बहिन नहीं होगा। पत्नी होगी पर साला या साली नहीं होगी। पति होगा पर ननद या देवर नहीं होगा।  परिवार का यह अवरुद्ध क्रम समाज के स्वरूप के विस्तार में बाधक होता है। सीधी बात कहें तो चीन एक ऐसा देश है जिसे व्यक्ति से जोड़ने वाला समाज लापता है। चीन में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है पर संबंधों के संकीर्ण दायरों में कैद आम चीनी कैसे सांस लेते होंगे इस पर तो ढेर सारी कहानियां हो सकती हैं। कम से कम अब चीन के विकास से सबक लेने वालों को अपने उपदेश बंद कर देना चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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