हमने पहले ही शक जताया था कि अरब देशों शरणार्थी के वेश में आंतकवादी भेज
सकते हैं। हमारा मानना है कि यूरोप अब भयानक संकट की तरफ जा रहा है। अरब देश
शरणार्थियों की आड़ में अपना धार्मिक आंतकवाद फैलायेंगे।
देश की जितनी भी क्षेत्रीय भाषायें है वह हिन्दी की मजबूती से ही अपना
अस्तित्व बचा सकती हैं। मराठी व हिन्दी के बीच विवाद पैदा करना भारत में
अप्रासंगिक हो रही अंग्रेजी का गुलाम प्रवृत्ति के लोगों का एक प्रयास हैं। यह
भारतीय धर्मों की खूबी है कि यहां किसी को उसके धर्म से निकालने का अधिकार नहीं
है।
दीपकबापूवाणी
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अंग्रेजी पढ़ पढ़ जग मुआ, देश में साहब
भया न कोय।
दीपकबापू इग्लिश के सर्वेंट, कभी हिंदी
स्वामी न होय।।
देशी भाषाओं की लड़ाई करायें, देश से प्रदेश
बड़ा बतायें।
‘दीपकबापू’ अंग्रेजी के गुलाम चतुर, छद्म जनभक्ति जतायें।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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