11 किलो सोने के आभूषण पहनने वाला एक बाबा 25 सुरक्षाकर्मियों के साथ चलता है तो एक कथित
महिला धार्मिक संत बिकनी पहनकर फोटा खिंचवाती है़। दोनों के पास कथित रूप से भक्तों का जमावड़ा है
पर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारतीय धर्म के लोग मूर्ख हैं। इस तरह तो हम उन लोगों को भी मूर्ख कह सकते हैं
जो फिल्मों में पैसा खर्च कर मनोरंजन करने जाते हैं। दरअसल हर मनुष्य में मनोरंजन की भूख होती है और
धर्म की आड़ में आकर्षण पैदा कर अपनी रोजी रोटी चलाने वाले उसका लाभ उठाते
हैं। यह बुरा है या अच्छा यह अलग से चर्चा
का विषय है पर इतना तय है कि अध्यात्मिक ज्ञानी ऐसे लोगों के पास जाने वालों को मूर्ख या भोला नहीं मानते।
भारतीय अध्यात्मिक ज्ञानी जानते हैं कि भक्त चार प्रकार के होते हैं-अर्थार्थी, आर्ती, जिज्ञासु और ज्ञानी।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ज्ञानी भक्त ही मुझे सबसे प्रिय हैं। ज्ञानी ऐसे संतों
के पास नहीं जाते पर निरंकार का उपासक होने के बावजूद कभी कभी ज्ञानार्जन और भक्ति
के लिये साकार भक्ति के उपासना स्थल पर चले जाते है। । जहां तक धर्म के नाम पर
ठेकेदारी करने वालों की बात है तो सच तो यह है कि राजसी वृत्ति के लोग अपने काले
धंधे ऐसे ही लोगों के नाम पर कर रहे हैं जो उनके सामने किराये की भीड़ लगाकर उनके
प्रचार का काम करते हैं। इसी प्रचार से अनेक लोग यह तमाशा देखने की इच्छा से चले
जाते हैं।
कहने का अभिप्राय यह है कि ऐसे संतों पर चाहे जैसी टिप्पणियां कर लें पर
भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा मानने वालों को भोला या मूख कतई न कहें। जो कहेगा
हमारी दृष्टि से अज्ञानी होगा।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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