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Saturday, April 25, 2015

भ्रष्टाचार और पक्षपात धार्मिक सिद्धांतों के विरुद्ध-हिन्दी चिंत्तन लेख(bhrashtachar aur pakshpat dharmik siddhanton ke viruddh-hindi thought article)


         एक टीवी चैनल पर उत्तर प्रदेश में ओलावृष्टि से प्रभावित किसान सहायता राशि न मिलने तथा ऋण प्राप्त करने पर रिश्वत देने जैसी शिकायतें कर रहे  थे। आमतौर से हिन्दू धर्म के कथित प्रचारकों की अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में ही निवास करती  हैं।  जब वहां का समाज भयानक संकट में तब यह प्रचारक कोई ऐसी घोषणा क्यों नहीं करते कि किसानों को राहत मिले। वह कोई सहायता या कर्ज न दिलवा सकें तो कम से कम इस कार्य में लगे लोगों को हिन्दू धर्म का वास्ता देकर उन्हें ईमानदारी, निष्पक्षता तथा उदारता काम करने के लियें क्यों नहीं कहते? वह यह घोषणा क्यों नहीं करते कि ऋण के लिये रिश्वत लेना या सहायता में  पक्षपात करना धर्म विरोधी है।
          हम अनेक बार लिख चुके हैं कि किसी भी धार्मिक समूह की रक्षा आदर्श राज्य व्यवस्था, दृढ़ धार्मिक संगठन तथा नैतिकवान लोगों के संघर्ष से ही हो सकती है। हिन्दू धर्म के प्रचारक बहुत सारी बातें करते हैं पर कभी भ्रष्टाचार, बेईमानी तथा न्याय में पक्षपात जैसे कार्यों को धर्म विरोधी करार क्यों नहीं देते? चाणक्य नीति के अनुसार अर्थ से ही धर्म की रक्षा होती है। इसलिये जिन लोगों को यह लगता है कि धर्म की रक्षा होना जरूरी  उन्हें इस बात पर भी ध्यान रखना चाहिये कि समाज के सामान्य लोगों के व्यक्तिगत, आर्थिक, तथा भावनात्मक अर्थ सिद्धि होने पर ही वह धर्म के प्रति आकृष्ट होते हैं। उनके आकृष्ट होने पर ही धर्म की रक्षा संभव है। हमारे देश में विदेशी सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक विचाराधाराओं का प्रचार ही इसलिये हुआ क्योंकि हमारे देश की राजशाही की व्यवस्था प्रजाहित के अनुकूल नहीं रही जिसका विेदेशी विचारधारा के प्रचारकों ने लाभ उठाया।  इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति के विरुद्ध प्रचार पर अनेक जगह धन भी खर्च कर लोगों की मानसिकता ही नहीं संस्कृति भी बदली गयी।
हैरानी इस बात की है कि जब भारतीय समाज भयानक आर्थिक संकट में है तब भारतीय धर्म के प्रचारक खामोशी से सब देख रहे हैं। कम से कम भ्रष्टाचार जैसे विषय पर किसी प्रचारक को बोलते नहीं देखा गया।  न ही किसी ने कभी भ्रष्टाचारियों को दुत्कारने या सामाजिक बहिष्कार करने की बात कही है। हमारी भारतीय धर्म के प्रचारकों से यही कहना है कि इस समय अगर वह अपने समाज के लिये कोई कार्य न कर सके तो उनकी विश्वसनीयता कम होगी। याद रहे यह मामला केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं वरन् पूरे देश से जुड़ा है। 
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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