भारतीय पंथ व ज्ञान
का प्रचार करने वाले अक्सर पश्चिमी पंथ मानने वालों को अध्यात्मिक दर्शन का उपदेश देकर
यह सोचकर प्रसन्न होते हैं कि कोई बडा़ काम कर रहे हैं। हम यह तो नहीं कह सकते कि पश्चिमी
पंथ मानने वाले सभी भारतीय अध्यात्मिक ज्ञान से परिचित नहीं है पर इतना जरूर देखा है
कि अनेक लोगों में यह प्रवृत्ति है कि वह इसे
न समझना अपना गौरव समझते हैं। हमारे भारतीय
दर्शन के अनुसार अध्यात्मिक संस्कार बचपन में पड़ गये तो सही वरना बड़ी उम्र में तो इसकी
संभावना नगण्य है।
चाणक्य नीति में कहा गया
है कि
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अन्तःसारविहीनामुपदेशो न
जायते।
मलगाचलसंर्गात् न वेणश्चन्दनायते।।
हिन्दी में भावार्थ-जिसके अंतकरण में सार समझने का अभाव है उसे उपदेश देना व्यर्थ है। वह मलयगिरी
के पर्वत की तरह है जहां आने वाली वायु के स्पर्श से भी बांस चंदन नहीं होता।
दूसरी बात यह भी
देखी गयी है कि भारतीय पंथ के प्रति नकारात्मक भाव तथा पश्चिमी पंथ अपनाकर समाज में
प्रथक दिखने की प्रवृत्ति कुछ लोगों में इस
तरह भरी हुई है कि उसे सहजता से नहीं हटाया जा सकता। इसलिये हमारी भारतीय ज्ञान के प्रचारकों को सलाह
है कि वह भारतीय पंथों पर चलने वाले समाज से अधिक संवाद करें क्योंकि हमारी दृष्टि
से यह आवश्यक है कि वह सबसे पहले मजबूत बने।
हिन्दुत्व को चुनौती देने
वाले गलत-ट्विटर पर टिप्पणियां
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ताज्जृब
जिस हिन्दुत्व का आधार वह गीता है जो चार प्रकार के भक्त तथा तीन प्रकार की भक्ति का
अस्तित्व स्वीकार करने का संदेश देती है उसे ही असहिष्णु बताया जा रहा है। श्रीमद्भागवत्गीता को हर हिन्दू मानता है इसलिये
किसी भी भक्त के आराधित इष्ट रूप तथा उसकी भक्ति के पंथ पर टिप्पणी नहीं करता। उस हिन्दू तथा उसके हिन्दुत्व को वह लोग चुनौती
दे रहे हैं जिन्होंने धनदाताओं के अनुसार अपनी कलम से शब्द रचने के साथ ही मंचों पर मुख से बोले। एक योग तथा ज्ञान साधक के रूप में
हमारा मानना है कि वैश्विक आतंकवाद को वैचारिक आधार पर केवल भारतीय अध्यात्मिक दर्शन
के आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है। जिन्हें यह टिप्पणी पसंद नहंी है तो वह बतायें
कि क्या रामायण, श्रीमद्भागत तथा वेद का अध्ययन करने वाले किसी व्यक्ति ने आतंकवाद का रुख किया
है?
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.comयह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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