हमारे देश में अफवाहें संभवतः ऐसे लोग यह सोचकर प्रायोजित करते हैं कि अभी
तक समाज के सामान्य लोगों की सोच अभी भी मृतप्रायः है या फिर उनमें चेतना आ गयी
है। जब वह जान लेते हैं कि अभी लोग गुलामी
की मानसिकता में है तो वह शराब, जुआ तथा अन्य गंदे व्यवसायों में नये प्रयोग करते हैं ताकि अधिक से अधिक
कमा सकें। अभी एक अफवाह फैली हुई है कि कोई जिन्न पत्थर की उपयोग में आने वाली
वस्तुओं को खराब कर रहा है जिससे उसमें विष फैल जाता है। अनेक लोग तमाम कहानियां सुना रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि पढ़े लिखे लोग भी
चर्चायें कर एक तरह से इस अफवाह को प्रचारित ही कर रहे हैं। किसी ने बताया कि
वर्षा के दिनों एक कीड़ा पैदा होता है जो कैल्शियम का भोजन करता है। हमारे देश के
शहरों में अब पत्थरों के मकान नहीं होते अलबत्ते चक्की या सिल्वटा होता हैं इसलिये
वह उन्हें चाटता है जिससे निशान बन जाते हैं।
एक ने सवाल किया कि ‘कितनी अजीब बात है कि कुछ लोग इंतजार करते हैं कि कोई दूध देने उनके घर पर
आये पर शराब खरीदने स्वयं बाज़ार में दुकान पर लाईन में लगते हैं।’’
दूसरा कुछ देर सोचने लगा और फिर बोला-‘‘ अभी कोई अफवाह फैली है कि कोई जिन्न पत्थर की
चक्की में मुंह मारता है। कोई आदमी उसकी
आवाज सुनकर कुछ कहता है तो वह स्वयं पत्थर का बन जाता है। ऐसी बेतुकी अफवाओं की
जगह कोई ऐसी क्यों नही फैलाता कि कहीं कहीं शराब की बोतल से जिन्न निकलकर आदमी को
खा जाता है। तब तो मजा आ जाये।’’
वहां तीसरा भी खड़ा था वह बोला-‘‘शराब से जिन्न निकलने
की अफवाह फैलाने वालों को प्रायोजित कौन
करेगा? यहां मुफ्त में कोई अफवाह नहीं फैलाता। दूध गरीब बेचता है इसलिये घर आता है
पर शराब बेचने वाले दमदार होते हैं इसलिये लोग उनकी दुकान पर जाते हैं। रही बोतल
से जिन्न की अफवाह फैलाने की बात तो यकीन मानो उसे शराबी ही ठिकाने लगा देंगे या
वह ऐसी हालत में आ जायेगा कि शराब पीकर ही अपना गम मिटायेगा।
बहरहाल हमारा मानना है कि इस तरह की अफवाहों पर चर्चा करना ही अफवाह को आगे
बढ़ाने में सहायक होती है इसलिये उससे बचना चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
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5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
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