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Wednesday, July 15, 2009

विदुर नीति-क्षमा के गुण को कमजोरी न समझें

एक क्षमवतां दोषो द्वितीयो नोपपद्यते।
यदेनं क्षमया युक्तशक्तं मन्यते जनः।।
सोऽस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं यत्नम्।
क्षमा गुणो ह्यशक्तनां भूक्षणं क्षमा।।
हिंदी में भावार्थ-
जिस मनुष्य में क्षमा करने का गुण है उसका बस एक ही दोष है लोग उसे निशक्त और युक्ति रहित समझने लगते हैं। किन्तु यह समझना गलत है कि क्षमाशील पुरुष कमजोर या निशक्त हैं। क्षमा एक बहुत बड़ी ताकत है। क्षमा का गुण असमर्थ व्यक्ति के लिये गुण तथा शक्तिशाली के लिये भूषण है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-यह समझना गलत है कि असमर्थ पुरुष अगर क्षमाशील है तो फिर उसका वह गुण नहीं है। याद रखिये गरीब, बेसहारा और कमजोर की आह भी बहुत खतरनाक है। क्षमा का गुण केवल अमीरों और बाहुबलियों द्वारा ही धारण किया जाने वाला गुण नहीं है।
यह बात ठीक है कि क्षमा करने वाले को लोग कमजोर या डरपोक समझते हैं पर फिर भी इस गुण को छोड़ना नहीं चाहिए। अगर आप बाहुबली और धनी हैं तो क्षमा का गुण आपके लिये भूषण हैं पर आप कमजोर हैं और निर्धन हैं तो भी आपका यह गुण हैं। ऐसे में कोई बाहूबली या अमीर आपके प्रति अपराध करता है तो भी उसका हृदय से बुरा न चाहें-उसे बद्दुआ न दें-क्योंकि आह लगती है और दूसरे को सताने वाले को कभी न कभी दंड मिलता है भले ही कोई सांसरिक व्यक्ति यह काम न करें प्रकृत्ति स्वयं दंड प्रदान करती है।
बाहूबलियों ओर धनवानों पर माया का वरदहस्त होता है पर इससे वह संसार के ठेकेदार नहीं हो जाते-यह अलग बात है कि आजकल अनेक बाहुबली और अमीर इसी भ्रम में जीते हैं। उनको अपने से कमजोर और निर्धन के अपराध क्षमा करना चाहिये तभी वह समाज में सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अगर कोई निर्धन या गरीब उनको अपने प्रति किये गये अपराध के लिये क्षमा प्रदान करता है तो उसे कमजोर या युक्तिरहित समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करना चाहिए।
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