कश्मीर
में धारा 370 व 35ए अब खत्म नहीं किया तो कभी नहीं कर पाओगे-हिन्दी लेख
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भक्तों के शिरोमणि हमेशा ही हिन्दूत्व के पुरोधा और राष्ट्रवाद के प्रेमी होने का दावा करते हैं पर राजनीतिक चातुर्य का आजतक परिचय नहीं दे पाये। सत्ता में आने से पहले तमाम तरह के बदलाव के दावे करते पर जब सवार होते हैं तो सबकुछ भूल केवल उसके भोग तक ही सक्रियता दिखाते हैं। कश्मीर के मुद्दे पर पुराने भक्तों की तरह नये भक्त भी संवेदनशील तो दिखते हैं पर वर्तमान स्थिति के आंकलन में उनके अंदर कोई दिलचस्पी नहीं है।
हमारा तो साफ कहना है कि नये भक्तों अगर दम है तो कश्मीर में धारा 370
और 35ए को तत्काल राष्ट्रपति के अधिकार से खत्म कर दिखाओ वरना हम समझेंगे कि तुम केवल जुमलेबाजी करने के साथ ही उससे सुनने तक के आदी हो। इस समय पूरा विश्व डांवाडोल है। अमेरिका भी उत्तर कोरिया से उलझा है। चीन डोकालाम में हमसे जूझ रहा है और उसे कहीं दूसरी जगह झांकने की फुर्सत नहीं है। उधर ईरान भी सऊदी अरब और अमेरिका के साथ दुश्मनी निभाने में लगा हुआ है। पाकिस्तान की फौज तथा सरकार आपस में दो दो हाथ कर रही है। इस समय यह काम कर दो तो देश में ही सक्रिय विरोधी भी ठंडे हो जायेंगे। कश्मीर की वर्तमान मुख्यमंत्री ने वहीं के अलगाववादियों से दुश्मनी मोल ले रखी है। सबसे बड़ी बात यह कि तुम्हारे इष्ट के विकास का जुमला भी खूब चल रहा हैं सो पूरी दुनियां से कह देना कि ‘हम कश्मीर का विकास करना चाहते हैं।’
हमें एक डर यह भी लग रहा है कि कहीं बड़ी ताकतों के चक्कर में कश्मीर घाटी के साथ ही जम्मू और लद्दाख भी हमारे हाथ से न निकल जायें। दरअसल हमारे कश्मीर पर मुस्लिम देशों की बहुत दिलचस्पी है। खासतौर से ईरान और सऊदीअरब अपना अप्रत्यक्ष तथा प्रत्यक्ष बनाये रखना चाहते हैं। इधर अमेरिका ने सऊदीअरब के साथ हथियारों का बड़ा सौदा किया है। वैसे भी सऊदीअरब दुनियां के सामरिक रूप से शक्तिशाली अमेरिका का सबसे बड़ा आर्थिक पालनहार है। सऊदीअरब के शासक विलासी हैं। उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप से पुरुष तथा नारियां अपने यहां बुलाकर उनसे गुलामी कराने का शौक है। इधर भारत पाकिस्तान व बांग्लादेश में जागरुकता के साथ ही उनकी दिक्कतें बढ़ रही है-कहा जाये उनकी अय्याशी का क्षेत्र कम हो रहा है। ऐसे में संभव है कि पाकिस्तान की सेना और अफसरों को पैसा देकर वह उसका अधिकृत कश्मीर का क्षेत्र छोड़ने के लिये प्रेरित करें और तब भारत से कहा जाये कि अब आप पूरे क्षेत्र में जनमत संग्रह कराओ। भारतीय रणनीतिकार तब कहीं के न रहेंगे क्योंकि उन्होंने अभी तक कश्मीर को अपने संविधान से अलग ही रखा हुआ है। कहने को यह जरूर कहें कि अमेरिका एक तरह से भारत का स्वाभाविक मित्र है पर हम नहीं मानते क्योंकि
1971 से लेकर आज तक वह पाकिस्तान का साथ देता रहा हैं। पाकिस्तान को पैसा देकर और भारत को धमकाकर कश्मीर अलग करने के बाद अमेरिका चीन का मार्ग भी रोक सकता है। ऐसे में भारत के लिये यह मौका है कि वह कश्मीर को स्थाई रूप से अपना हिस्सा बना ले-उसका सीधा उपाय यह है कि धारा 370
व 35 ए तत्काल खत्म कर यह झंझट हमेशा लिये खत्म कर दे।
अगर इस समय नहीं किया तो कभी नहीं कर पाओगे। संभव है कि आगे हालात ऐसे हो जायें कि जम्मूकश्मीर हाथ से गंवाना पड़े। केवल वणिकों के लिये बनी इस सरकार में शायद कोई ऐसे भक्तों हो जो इस पर प्रभाव डाल सकें उन्हें हमारी सलाह
है कि वह हानि लाभ के भय से मुक्त होकर ऐसा निर्णय लें। अगर भक्तों की सरकार अब ऐसा नहीं कर सकी तो फिर
कभी कोई नहीं कर पायेगा। यह भी तय है। हमारे
हिसाब से इस समय वातावरण ऐसा है कि आज यह धारायें खत्म कर लो और कल अपने ही प्रिय वणिकों
को जमीने देना शुरु करो। वरना तुम जानो तुम्हारा काम।